
फिल्म रिव्यु -
फिल्म का बेस हर एक सुपरहीरो फिल्म की तरह है -फिल्म me एक लड़का है जिसे उसकी मां उसे नकारा समझती है। लेकिन उस लड़के की मानना हे कि मां की आंख में सुपरहीरो बन जाए। घर का सुपरहीरो जैसा। बस इसीलिए वो बाबाजी से यही दुआ। पर बाबाजी उस दिन ज़्यादा खुश होते हैं और उसे सबका सुपरहीरो बनने वाला पावर दे देते हैं। बस इसके बाद वो उस पावर का क्या करता है और कैसे करता है यही कहानी है।
कैरक्टर-
अगर आप देखे तो टाइगर श्रॉफ, छोटे स्तर के सुपरहीरो हैं। वो सब करते लेते हैं, जैसे की डांस, ड्रामा, एक्शन, फाइट, रोमांस। बस एक कॉमेडी बची थी वो भी इस फिल्म में उन्होंने ट्राई कर ली है और कहीं ना कहीं उनका भोलापन आपको अच्छा लगेगा। अमृता सिंह अब बॉलीवुड में वो जगह ले चुकी हैं जो किरण खेर की हुआ करती थी। वही डांटने, फटकारने वाली मम्मी, जिसकी आवाज़ नींद में भी अगर बच्चे ने सुन ली तो ज़रूर उठ जाएगा। बस यही हे फिल्म
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